वैज्ञानिकों ने विकसित किया पर्यावरण के अनुकूल उच्च-प्रदर्शन वाला लुब्रिकेंट, घर्षण में 54% की कमी

Category: press-release » Post by: Jaswant Jat » Update: 2025-05-09

09 मई 2025 | Researchers develop eco-friendly lubricant with superior performance- भारत के वैज्ञानिकों ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए ऐसा इको-फ्रेंडली लुब्रिकेंट (Eco-friendly Lubricant) तैयार किया है जो न केवल मशीनों की कार्यक्षमता बढ़ाता है बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचाता। पारंपरिक खनिज या सिंथेटिक ऑयल-बेस्ड लुब्रिकेंट्स पर्यावरण के लिए हानिकारक होते हैं, ऐसे में यह खोज भविष्य की टिकाऊ तकनीकों के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।

वैज्ञानिकों ने विकसित किया पर्यावरण के अनुकूल उच्च-प्रदर्शन वाला लुब्रिकेंट, घर्षण में 54% की कमी

कहां हुआ यह विकास?

यह लुब्रिकेंट गुवाहाटी स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (IASST) के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया है, जो भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) का एक स्वायत्त संस्थान है।

इस शोध का नेतृत्व प्रोफेसर देवाशीष चौधरी ने किया है, जिनके साथ शोधकर्ता उज्जिबित बोरूआ (INSPIRE JRF), बितुपन मोहन (UGC-JRF) और डॉ. नवजीत देव चौधरी (ASTU) भी शामिल रहे।

लुब्रिकेंट कैसे बनाया गया?

वैज्ञानिकों ने जैव-आधारित कैस्टर ऑयल (Castor Oil) में गैस-संशोधित ग्रेफाइटिक कार्बन नाइट्राइड (g-C3N4) को मिलाकर एक नया लुब्रिकेंट तैयार किया है। इसके g-C3N4 नैनोशीट्स को ऑक्टाडेसाइलट्राईक्लोरोसिलेन (OTCS) के साथ रासायनिक रूप से मॉडिफाई किया गया है, जिससे यह तेल में बेहतर तरीके से घुलकर स्थिर हो गया है।

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क्या है इसके फायदे?

त्रिबोलॉजिकल परीक्षण (Tribological Testing) से यह साबित हुआ है कि:

  • यह लुब्रिकेंट घर्षण को लगभग 54% तक कम करता है।

  • पहनने (wear) की मात्रा में 60.02% की कमी आती है।

  • इसकी लोड-बेयरिंग क्षमता अधिक है।

  • ऑक्सीकरण तापमान 320°C से बढ़कर 339°C तक पहुंच गया है, जो इसकी थर्मल स्टेबिलिटी दर्शाता है।

  • टॉक्सिसिटी टेस्ट में यह पाया गया कि इसमें फ्री रेडिकल्स का निर्माण न्यूनतम है, जिससे यह लुब्रिकेंट पर्यावरण के प्रति सुरक्षित बन जाता है।

क्यों है यह खास?

यह इको-फ्रेंडली लुब्रिकेंट पारंपरिक लुब्रिकेंट्स की तुलना में कहीं अधिक टिकाऊ, सुरक्षित और प्रभावशाली है। इससे मशीनों की उम्र बढ़ेगी, मेंटेनेंस खर्च कम होगा और सबसे बड़ी बात – यह पर्यावरण को भी सुरक्षित रखेगा।

प्रोफेसर चौधरी का क्या कहना है?

प्रो. देवाशीष चौधरी ने कहा, “यह टिकाऊ लुब्रिकेंट न केवल यांत्रिक प्रदर्शन को बेहतर बनाता है बल्कि वैश्विक स्तर पर हरित और कुशल लुब्रिकेशन तकनीकों की दिशा में एक मजबूत कदम भी है।”

इस शोध को हाल ही में प्रतिष्ठित जर्नल ACS Applied Nano Materials में प्रकाशित किया गया है।