Starlink Internet Launch in India - एलॉन मस्क की स्टारलिंक को भारत में ग्रीन सिग्नल, अब सैटेलाइट से चलेगा इंटरनेट
Starlink Internet launch in India - एलॉन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को भारत सरकार से सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू करने की मंजूरी मिल गई है। यह फैसला देश के डिजिटल विकास को एक नया आयाम देने वाला है, क्योंकि अब उन इलाकों में भी इंटरनेट पहुंचेगा जहां न मोबाइल टावर हैं और न ही फाइबर केबल।

✅ भारत सरकार ने दी मंजूरी – स्टारलिंक को मिला 'ग्रीन सिग्नल'
दूरसंचार विभाग (DoT) ने स्टारलिंक को भारत में इंटरनेट सेवा शुरू करने के लिए ‘लेटर ऑफ इंटेंट’ जारी कर दिया है। यह मंजूरी तब मिली है जब सरकार ने सैटेलाइट इंटरनेट कंपनियों के लिए सख्त नियम लागू किए हैं, जिनमें डेटा लोकलाइजेशन, सुरक्षा जांच और स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग जैसे प्रावधान शामिल हैं।
📜 क्या है ‘लेटर ऑफ इंटेंट’?
‘लेटर ऑफ इंटेंट’ यानी शुरुआती स्वीकृति, जो किसी कंपनी को पूरी अनुमति प्रक्रिया में शामिल होने की सहमति देती है। स्टारलिंक को यह अनुमति तब दी गई जब उसने सभी राष्ट्रीय सुरक्षा मानकों को स्वीकार किया। इसी प्रक्रिया से पहले Eutelsat OneWeb और Jio-SES जैसी कंपनियां भी गुजरी हैं।
अब स्टारलिंक को GMPCS (Global Mobile Personal Communication by Satellite) लाइसेंस का अंतिम चरण पार करना है, जिसके बाद वह अपनी इंटरनेट सेवाएं शुरू कर पाएगी।
🛰️ स्टारलिंक को अब क्या करना होगा?
- देशभर में ग्राउंड स्टेशन (Earth Stations) स्थापित करने होंगे, जो सैटेलाइट और लोकल नेटवर्क के बीच पुल का काम करेंगे।
- IN-SPACe (भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र) से सैटेलाइट नेटवर्क और उसकी क्षमता को लेकर भी अनुमति लेनी होगी।
- सैटेलाइट इंटरनेट का डेमो प्रस्तुत करना होगा, ताकि सेवा की गुणवत्ता का प्रदर्शन हो सके।
🤝 स्टारलिंक की साझेदारियां और रणनीति
मार्च 2025 में, स्टारलिंक की पैरेंट कंपनी SpaceX ने भारती एयरटेल और जियो के साथ साझेदारी की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य उनके स्टोर्स के माध्यम से स्टारलिंक डिवाइस को जनता तक पहुंचाना है, खासकर स्कूलों, अस्पतालों और ग्रामीण व्यवसाय केंद्रों में।
जो कंपनियां पहले सैटेलाइट इंटरनेट का विरोध कर रही थीं, वे अब स्टारलिंक के साथ भागीदारी के रास्ते तलाश रही हैं। वजह है – ग्रामीण भारत में तेजी से बढ़ती कनेक्टिविटी की मांग।
🌐 स्टारलिंक का नेटवर्क और तकनीकी ताकत
स्टारलिंक के पास फिलहाल 6,750 से अधिक सक्रिय सैटेलाइट्स हैं, जो इसे दुनिया की सबसे बड़ी सैटेलाइट इंटरनेट नेटवर्क बनाते हैं। कंपनी ने 2022 में ही GMPCS लाइसेंस के लिए आवेदन कर दिया था और अब यह प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
📶 TRAI और स्पेक्ट्रम आवंटन का इंतजार
हालांकि सेवा शुरू करने से पहले भारत सरकार को सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन करना होगा, जिस पर फिलहाल TRAI (भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण) काम कर रहा है। जैसे ही स्पेक्ट्रम आवंटन होता है, कंपनियां व्यावसायिक सेवाएं शुरू कर सकेंगी।
🌍 क्या होगा असर? – ग्रामीण भारत में डिजिटल क्रांति
ब्रोकरेज फर्म Bernstein की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की लगभग 40% आबादी अब भी इंटरनेट से वंचित है, जिनमें से अधिकतर ग्रामीण क्षेत्र में हैं। ऐसे में स्टारलिंक का सैटेलाइट इंटरनेट ग्रामीण भारत में ऑनलाइन शिक्षा, टेलीमेडिसिन, ई-कॉमर्स और कृषि सेवाओं को मजबूती देगा।
अब गांवों के बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कर सकेंगे, किसान मौसम और मंडी की जानकारी तुरंत ले पाएंगे और ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों से वर्चुअल कंसल्टेशन संभव होगा।
🚀 निष्कर्ष: एक नए युग की शुरुआत
एलॉन मस्क की स्टारलिंक भारत में डिजिटल कनेक्टिविटी की नई शुरुआत कर रही है। यह पहल सिर्फ इंटरनेट सेवा की शुरुआत नहीं है, बल्कि भारत को एक डिजिटल महाशक्ति बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।
अब सबकी निगाहें इस पर हैं कि यह वादा जमीनी हकीकत कब बनता है। लेकिन जो शुरुआत हुई है, वह वाकई में क्रांतिकारी है।