Security Upgrade in Border Scientific Institutions | सीमावर्ती वैज्ञानिक संस्थानों की सुरक्षा व्यवस्था होगी सुदृढ़ - डॉ. जितेंद्र सिंह
सुरक्षा व्यवस्था होगी सुदृढ़: J&K, पंजाब, राजस्थान, गुजरात और लद्दाख के बॉर्डर क्षेत्रों में वैज्ञानिक व तकनीकी संस्थानों के लिए बड़ा निर्णय

नई दिल्ली, 10 मई 2025 (PIB रिपोर्ट) देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों की सुरक्षा को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज एक उच्चस्तरीय बैठक के दौरान जम्मू-कश्मीर, पंजाब, चंडीगढ़, लद्दाख, और राजस्थान व गुजरात के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में मौजूद वैज्ञानिक संस्थानों की सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के निर्देश दिए हैं।
बैठक में प्रमुख रूप से वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्रों, मौसम विभाग (IMD) की इकाइयों, और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसंधान स्टेशनों की सुरक्षा समीक्षा की गई। इस बैठक में विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों के निदेशक, वरिष्ठ अधिकारी, और सचिव स्तर के अधिकारी शामिल हुए, जिनमें डॉ. अभय करंदीकर (DST), डॉ. राजेश गोखले (DBT), डॉ. एन. कलैसेल्वी (CSIR), और श्री मृत्युंजय महापात्र (IMD) प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
कौन-कौन से संस्थान आए फोकस में:
CSIR-IIIM, जम्मू
CSIR-CSIO, चंडीगढ़
CSIR-CLRI, जालंधर
CSIR-IMTECH, चंडीगढ़
DBT-BRIC NABI, मोहाली
IMD सेंटर, श्रीनगर और लेह
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसंधान स्टेशन, लद्दाख व अन्य क्षेत्र
इन संस्थानों की रणनीतिक भूमिका को ध्यान में रखते हुए यह निर्देश दिया गया कि वे अपनी सुरक्षा व्यवस्था की तत्काल समीक्षा करें और स्थानीय जिला प्रशासन से समन्वय स्थापित करें।
महत्वपूर्ण निर्देश:
सभी संस्थानों को आपातकाल SOPs तैयार करने और सर्कुलेट करने के निर्देश।
स्टाफ को आंतरिक सुरक्षा जागरूकता और ‘Do’s & Don’ts’ पर नियमित रूप से प्रशिक्षित किया जाए।
विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं को ध्यान में रखते हुए आगामी परीक्षाओं और प्रपोजल सबमिशन को अगली सूचना तक स्थगित किया जाए।
IMD केंद्रों की सुरक्षा होगी और सख्त:
श्रीनगर और लेह में स्थित भारतीय मौसम विभाग (IMD) के प्रमुख केंद्रों की सुरक्षा को विशेष प्राथमिकता दी जा रही है। IMD के महानिदेशक को तत्काल इन केंद्रों पर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के निर्देश दिए गए।
रक्तदान शिविर और आत्म-सुरक्षा अभ्यास भी अनिवार्य:
डॉ. जितेंद्र सिंह ने सभी संस्थानों को रक्तदान शिविर आयोजित करने और सेल्फ-डिफेंस ड्रिल्स, एमरजेंसी इवैक्युएशन एक्सरसाइज, तथा सेंसिटाइजेशन प्रोग्राम्स नियमित रूप से कराने के निर्देश दिए। इसका उद्देश्य स्टाफ और विद्यार्थियों के मनोबल को ऊँचा रखना और किसी भी स्थिति से निपटने की तैयारी को सुनिश्चित करना है।
समन्वय और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ साझेदारी:
बैठक में यह भी तय किया गया कि सभी वैज्ञानिक विभाग एक कम्प्रिहेन्सिव इन्वेंट्री (संपत्ति सूची) तैयार करें और इसे राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ साझा करें ताकि उनकी प्रभावी सुरक्षा की योजना बनाई जा सके।
डॉ. जितेंद्र सिंह का संदेश:
“हमारे वैज्ञानिक संस्थान देश की राष्ट्रीय लचीलापन (resilience) की रीढ़ हैं। ऐसे समय में उनकी सुरक्षा और तैयारी सर्वोपरि है। आंतरिक जागरूकता और जिला प्रशासन के साथ तालमेल से हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं।”
निष्कर्ष: देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों की सुरक्षा बढ़ाने का यह निर्णय समयानुकूल है। यह न केवल इन संस्थानों में काम कर रहे वैज्ञानिकों, छात्रों और स्टाफ की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि यह राष्ट्रीय रणनीतिक परिसंपत्तियों की सुरक्षा को भी एक नई मजबूती देगा।