Sanskrit Learning Basics: जानिए संस्कृत अक्षरों की शुरुआत हिंदी से कैसे अलग है

Category: education » Post by: Jaswant Jat » Update: 2025-05-11

Sanskrit सीखना चाहते हैं? जानिए अक्षरों की शुरुआत हिंदी से कैसे अलग होती हैआजकल संस्कृत भाषा सीखने में फिर से रुचि बढ़ रही है। लोग जानना चाहते हैं कि इस देवभाषा की शुरुआत कैसे करें। लेकिन अक्सर शुरुआत में एक सवाल उठता है – संस्कृत के अक्षर हिंदी से कैसे अलग होते हैं? आइए जानते हैं विस्तार से।

Sanskrit Learning Basics: जानिए संस्कृत अक्षरों की शुरुआत हिंदी से कैसे अलग है

1. हिंदी और संस्कृत – दोनों देवनागरी लिपि में लिखी जाती हैं

सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि संस्कृत और हिंदी दोनों ही देवनागरी लिपि का प्रयोग करती हैं। यानी दोनों भाषाओं में लेखन शैली लगभग एक जैसी दिखती है, लेकिन अंतर अक्षरों और उनके प्रयोग में है।

2. स्वर (Vowels) – हिंदी और संस्कृत में थोड़ा अंतर

हिंदी के स्वरसंस्कृत के स्वर
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औअ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ॠ, ऌ, ॡ, ए, ऐ, ओ, औ

संस्कृत में अतिरिक्त स्वर हैं जैसे – ॠ (दीर्घ ऋ), , और , जो हिंदी में नहीं मिलते। ये वैदिक संस्कृत में अधिक प्रचलित हैं।

3. व्यंजन (Consonants) – अधिक व्यवस्थित

हिंदी के सामान्य व्यंजनसंस्कृत के व्यवस्थित वर्ग
क, ख, ग, घ, ...क-वर्ग, च-वर्ग, ट-वर्ग, त-वर्ग, प-वर्ग आदि

संस्कृत में व्यंजनों को वर्गों में बांटा गया है, जैसे –

  • क-वर्ग: क, ख, ग, घ, ङ

  • च-वर्ग: च, छ, ज, झ, ञ

  • और इसी तरह प-वर्ग तक

हिंदी में यह व्यवस्था कम स्पष्ट होती है, जबकि संस्कृत में यह ध्वनि-विज्ञान के अनुसार होता है।

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4. विशेष वर्ण – हिंदी में नहीं, संस्कृत में हैं

विशेष संस्कृत वर्णअर्थ
ङ, ञ, ण, श, षविशिष्ट ध्वनियाँ, जो संस्कृत में शब्दों को स्पष्ट रूप से अलग करती हैं

उदाहरण:

  • शक्ति (श) और षड् (ष) – दोनों अलग ध्वनियाँ हैं

  • हिंदी में दोनों को अक्सर एक जैसा बोल दिया जाता है

5. संधि, समास और उच्चारण – संस्कृत की गहराई

संस्कृत में अक्षरों के मेल से संधि (joining) और समास (compound words) बनाए जाते हैं। इसके लिए अक्षरों की शुद्धता और उच्चारण का सही ज्ञान ज़रूरी है। हिंदी में यह नियम थोड़े ढीले होते हैं।

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6. लिपि वही, ध्वनि और व्याकरण अलग

यद्यपि हिंदी और संस्कृत दोनों देवनागरी में लिखी जाती हैं, लेकिन संस्कृत में हर अक्षर की ध्वनि, स्थान और प्रयोग वैज्ञानिक ढंग से तय है। यही संस्कृत को विशुद्ध बनाता है।

निष्कर्ष:

यदि आप संस्कृत सीखना चाहते हैं, तो शुरुआत अक्षरों से करें – लेकिन ध्यान रखें कि ये अक्षर हिंदी जैसे दिखते ज़रूर हैं, लेकिन उनके पीछे की ध्वनि, क्रम और व्याकरण पूरी तरह अलग है। संस्कृत का आधार मजबूत होगा तो सीखना आसान और मजेदार हो जाएगा।