Maharashtra Ladki Bahin Yojana Fund Allocation Controversy: लाडकी बहन योजना के फंड ट्रांसफर पर मंत्री की नाराज़गी, सरकार की सफाई
महाराष्ट्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहन योजना एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार वजह सकारात्मक नहीं है। योजना को लेकर सरकार के भीतर ही मतभेद उभर आए हैं। शिवसेना के वरिष्ठ नेता और सामाजिक कल्याण मंत्री संजय शिरसाट ने इस योजना के लिए फंड ट्रांसफर को लेकर नाराज़गी जताई है। उनका कहना है कि उनके विभागीय बजट से बिना पूर्व सहमति के 410 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए गए हैं, जो विभाग की स्वायत्तता पर सवाल खड़ा करता है।

क्या है मामला?
मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहन योजना के तहत राज्य सरकार ने कुल 36,000 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया था। इस राशि का वितरण तीन मुख्य स्रोतों से किया गया:
28,290 करोड़ रुपये सामान्य बजट से
3,960 करोड़ रुपये अनुसूचित जाति कल्याण विभाग से
3,250 करोड़ रुपये आदिवासी कल्याण विभाग से
बाद में इन विभागों से योजना को वितरित धन की मात्रा निम्नलिखित रही:
सामान्य बजट से: 2,546 करोड़ रुपये
सामाजिक कल्याण विभाग से: 410 करोड़ रुपये
आदिवासी विभाग से: 335 करोड़ रुपये
यही 410 करोड़ रुपये का ट्रांसफर मंत्री संजय शिरसाट के गले नहीं उतर रहा है। उन्होंने कहा कि सामाजिक कल्याण विभाग के लिए तय राशि को बिना उचित जानकारी के योजना के लिए स्थानांतरित कर दिया गया, जिससे विभाग की अन्य योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं।
अधिकारियों की सफाई: “कोई फंड डायवर्ट नहीं हुआ”
मामले पर जब विवाद बढ़ा तो वरिष्ठ अधिकारियों ने सफाई दी कि यह फंड डायवर्जन नहीं, बल्कि बजटीय प्रक्रिया का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि सरकार जब किसी बड़ी जनकल्याणकारी योजना को लागू करती है, तो उसके लिए विभिन्न विभागों से बजट का आवंटन किया जाता है।
विशेष समूहों — जैसे कि अनुसूचित जाति (SC) और जनजाति (ST) — के लाभ के लिए योजनाएं बनाई जाती हैं, तो संबंधित विभागों से फंड देना स्वाभाविक और अनुमोदित प्रक्रिया है। इस योजना में भी उन्हीं समूहों के लिए धन दिया गया है और यह राशि केवल उन्हीं लाभार्थियों पर खर्च हो सकती है, इसका स्पष्ट प्रावधान है।
पहले से बढ़ा हुआ बजट
राज्य सरकार ने यह भी बताया कि सामाजिक कल्याण विभाग के बजट में इस बार 42% की वृद्धि की गई है, ताकि विभाग की अन्य योजनाओं पर असर न पड़े। सरकार का दावा है कि इस बढ़े हुए बजट के तहत विशेष समूहों के लिए बनाई गई अन्य योजनाएं सुचारू रूप से चल सकेंगी।
तुलना केंद्र सरकार की योजनाओं से
अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की प्रक्रिया प्रधानमंत्री आवास योजना, ग्रामीण सड़क योजना जैसी केंद्र सरकार की स्कीमों में भी अपनाई जाती है। इसलिए इसे फंड डायवर्जन नहीं बल्कि वित्तीय पुनर्संयोजन कहा जाना चाहिए, जो सरकार की योजनागत प्राथमिकताओं के अनुरूप है।
निष्कर्ष
लाडकी बहन योजना को लेकर विवाद ने यह साफ कर दिया है कि सरकार की आंतरिक समन्वय प्रक्रिया में पारदर्शिता और संवाद की ज़रूरत है। मंत्री की नाराज़गी यह दर्शाती है कि विभागीय स्वायत्तता और बड़ी योजनाओं के बीच संतुलन बनाए रखना बेहद ज़रूरी है। हालांकि सरकार की ओर से सफाई भी आई है, लेकिन इस तरह के मामले जनता के बीच भ्रम की स्थिति पैदा करते हैं।