IMF Pakistan Loan 2025: भारत ने IMF फंडिंग पर उठाए गंभीर सवाल, पाकिस्तानी सेना और आतंकवाद को लेकर जताई चिंता
International Monetary Fund (IMF) ने हाल ही में पाकिस्तान के लिए $1 बिलियन की Extended Fund Facility (EFF) लोन समीक्षा पूरी की और साथ ही $1.3 बिलियन की नई Resilience and Sustainability Facility (RSF) फंडिंग पर भी विचार किया। वहीं भारत ने इस पूरी प्रक्रिया के दौरान गंभीर आपत्तियाँ दर्ज करवाई हैं और IMF की पाकिस्तान नीति पर सवाल खड़े किए हैं।

भारत का कड़ा रुख: IMF के कार्यक्रमों की प्रभावशीलता पर सवाल
भारत ने IMF के समक्ष स्पष्ट रूप से कहा कि पाकिस्तान का रिकॉर्ड बेहद खराब रहा है, और वह बार-बार IMF से फंड लेकर भी आर्थिक स्थिरता हासिल करने में विफल रहा है। 1989 से लेकर अब तक के 35 वर्षों में पाकिस्तान को 28 वर्षों में IMF से फंड मिला है। सिर्फ पिछले 5 वर्षों में (2019 से 2024 तक) चार बार IMF से बेलआउट पैकेज लिया गया है।
भारत ने सवाल किया कि अगर पहले के IMF कार्यक्रम सफल होते, तो पाकिस्तान को फिर से बेलआउट की जरूरत नहीं पड़ती। इससे या तो IMF की नीति-डिजाइन की खामियाँ उजागर होती हैं, या फिर पाकिस्तान की नीयत और क्रियान्वयन पर संदेह होता है।
पाकिस्तानी सेना की दखल और अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण
भारत ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान में सैन्य हस्तक्षेप आर्थिक नीतियों और सुधारों के लिए सबसे बड़ी बाधा है। भले ही अभी एक नागरिक सरकार सत्ता में है, परंतु पाकिस्तान की सेना अब भी आर्थिक निर्णयों में सबसे प्रमुख भूमिका निभा रही है। 2021 की एक संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की सेना से जुड़ी कंपनियाँ देश की सबसे बड़ी व्यापारिक इकाइयाँ हैं।
आज स्थिति और भी खराब हो गई है क्योंकि Special Investment Facilitation Council जैसे आर्थिक मंचों में अब सेना की सीधी भागीदारी है।
आतंकवाद और कर्ज के दुरुपयोग पर भारत की आपत्ति
भारत ने यह भी गंभीर चिंता व्यक्त की कि IMF जैसे संस्थानों से मिलने वाले फंड का दुरुपयोग सैन्य या आतंकवादी गतिविधियों में हो सकता है, क्योंकि ये फंड फंजिबल (Fungible) होते हैं — यानी जिसे चाहे, जहाँ चाहे खर्च किया जा सकता है।
भारत ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान द्वारा राज्य प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना, और उसके बावजूद उसे बार-बार अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सहायता देना, वैश्विक मूल्यों और मानकों का उपहास है।
IMF रिपोर्ट और भारत का Abstain
भारत ने IMF की ही रिपोर्ट “Evaluation of Prolonged Use of IMF Resources” का उल्लेख किया, जिसमें यह दर्शाया गया था कि राजनीतिक कारणों से पाकिस्तान को बार-बार IMF से सहायता मिलती रही है। इससे पाकिस्तान IMF के लिए "Too Big To Fail" Debtor बन गया है — यानी IMF उसे डूबने नहीं दे सकता, भले ही वह शर्तें न माने।
भारत ने बैठक में मतदान से अलग रहने (Abstain) का निर्णय लिया और IMF को याद दिलाया कि अगर वो सिर्फ तकनीकी नियमों के आधार पर ही फैसले लेता रहा, और नैतिक मूल्यों को नजरअंदाज करता रहा, तो वैश्विक संस्थाओं की साख पर गहरा असर पड़ेगा।
निष्कर्ष: IMF द्वारा पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय मदद पर भारत का विरोध सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि आर्थिक तर्क और नैतिकता पर आधारित है। भारत ने एक बार फिर दुनिया को यह याद दिलाया है कि आतंकवाद को सीधे या परोक्ष रूप से फंड करना किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है — चाहे वह IMF जैसा वैश्विक वित्तीय संगठन ही क्यों न हो।