Contract Workers Salary Hike 2025: मध्यप्रदेश के संविदा कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी, वेतन में हुई 6000 रुपये तक की बढ़ोतरी
भोपाल – मध्यप्रदेश में कार्यरत सरकारी संविदा कर्मचारियों के लिए राहतभरी खबर सामने आई है। लंबे समय से वेतन वृद्धि और स्थाई नीति की मांग कर रहे कर्मचारियों को आखिरकार बड़ी जीत मिली है। प्रदेश सरकार ने कुक्कुट विकास निगम (MP Poultry Development Corporation) के संविदा कर्मचारियों के वेतन में 4,000 से 6,000 रुपये तक की बढ़ोतरी के आदेश जारी कर दिए हैं।

इस फैसले के बाद प्रदेशभर में हजारों संविदा कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ गई है। यह निर्णय खासकर उन कर्मचारियों के लिए जीत की तरह है जिन्होंने हाल ही में 33 दिनों तक अनिश्चितकालीन हड़ताल की थी। यह हड़ताल संविदा कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर के नेतृत्व में आयोजित की गई थी।
क्या थी कर्मचारियों की मांग?
संविदा कर्मचारी लंबे समय से वेतन में बढ़ोतरी और संविदा नीति 2023 को लागू करने की मांग कर रहे थे। इसको लेकर उन्होंने कई बार ज्ञापन सौंपा, विरोध प्रदर्शन किया और अंत में अनिश्चितकालीन हड़ताल का रास्ता अपनाया। हड़ताल के दौरान कर्मचारियों ने कहा था कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होतीं, वे पीछे नहीं हटेंगे।
सरकार का रुख और मंत्री का आश्वासन
विभागीय मंत्री लखन पटेल ने हड़ताल के दौरान कर्मचारियों से मुलाकात की थी और उनकी मांगों को लेकर गंभीरता जताई थी। उन्होंने भरोसा दिलाया था कि सरकार इस मुद्दे पर जल्द निर्णय लेगी। आखिरकार सरकार ने कर्मचारियों की मांग को स्वीकार करते हुए वेतन वृद्धि के आदेश जारी कर दिए।
कितनी हुई वेतन वृद्धि?
सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, संविदा कर्मचारियों के वेतन में ₹4000 से ₹6000 तक की बढ़ोतरी की गई है। यह बढ़ोतरी सभी पदों पर लागू होगी, जिससे हजारों कर्मचारियों को सीधा लाभ मिलेगा। इससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और भविष्य को लेकर आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।
कर्मचारियों की प्रतिक्रिया
वेतन बढ़ोतरी की खबर मिलते ही संविदा कर्मचारियों में उत्साह की लहर दौड़ गई। प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने कहा, “यह जीत हमारे एकजुट संघर्ष की बदौलत मिली है। सरकार ने अपना वादा निभाया, इसके लिए हम मंत्री लखन पटेल और पूरी सरकार का धन्यवाद करते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि यह सिर्फ एक शुरुआत है, आने वाले समय में हम सभी संविदा कर्मचारियों के लिए स्थाई नीति लागू करने की दिशा में भी काम करेंगे।
निष्कर्ष: मध्यप्रदेश सरकार का यह कदम न केवल संविदा कर्मचारियों की वर्षों पुरानी मांगों को स्वीकार करने वाला है, बल्कि यह अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बनेगा। यह दर्शाता है कि जब कर्मचारी एकजुट होते हैं और शांतिपूर्ण संघर्ष करते हैं, तो उन्हें उनका हक जरूर मिलता है।