Burhanpur Water Crisis 2025: ताप्ती जलावर्धन योजना से राहत नहीं, दूषित पानी ने बढ़ाई जनता की परेशानी
बुरहानपुर। मध्यप्रदेश के बुरहानपुर शहर में करोड़ों की लागत से शुरू की गई Tapti Jalavardhan Yojana अब जनता के लिए राहत नहीं, बल्कि एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है। 151 करोड़ रुपए की यह महत्वाकांक्षी योजना, जिसका उद्देश्य मिनरल वॉटर जैसी गुणवत्ता वाला शुद्ध जल 48 वार्डों में पहुँचाना था, अब दूषित और मटमैले पानी की आपूर्ति के चलते सवालों के घेरे में आ गई है।

योजना बनी सिरदर्द, नहीं पहुंच रहा स्वच्छ पानी
JMC कंपनी द्वारा क्रियान्वित की जा रही इस योजना की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। वार्ड क्रमांक 48 की रहवासी मुमताज़ बानो ने बताया कि उनके घर में जो पानी आ रहा है वह न केवल गंदा है, बल्कि पीने योग्य भी नहीं है। “पानी मटमैला है, टंकी में जमा करने पर नीचे मिट्टी की मोटी परत दिखाई देती है,” उन्होंने बताया। कई अन्य लोगों ने भी शिकायत की कि पानी से दुर्गंध आती है और इसका उपयोग करने से बीमारियाँ फैलने का खतरा बना हुआ है।
प्रदूषित पानी से परेशान जनता, कुओं की ओर लौटे लोग
शहरवासियों को मजबूरी में फिर से पुराने पारंपरिक स्रोतों जैसे कुओं की ओर रुख करना पड़ा है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जब तक शुद्ध जल आपूर्ति सुनिश्चित नहीं की जाती, उन्हें पहले की तरह कुओं से पानी दिया जाए। कुछ इलाकों में तो नागरिक अपने निजी खर्च पर मिनरल वॉटर या फिल्टर का पानी खरीदने को मजबूर हैं।
कम दबाव, आधे वार्ड में पानी तक नहीं पहुंचा
वार्ड क्रमांक 48 के कई हिस्सों में जलापूर्ति का प्रेशर इतना कम है कि लोगों को पानी भरने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब यह सामने आता है कि नगर निगम अध्यक्ष अनीता अमर यादव के घर तक भी पर्याप्त प्रेशर से पानी नहीं पहुँच रहा। उन्होंने बताया कि इस विषय पर कई बार नगर निगम आयुक्त को पत्र लिखे गए हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है।
प्रशासन हरकत में, कलेक्टर ने दिए जांच के निर्देश
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जिले के कलेक्टर हर्ष सिंह ने जल गुणवत्ता की जांच के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा, "जल सैंपल की जांच कराई जा रही है और दोषियों की जवाबदेही तय की जाएगी। यदि आवश्यकता पड़ी तो वैकल्पिक व्यवस्था भी लागू की जाएगी ताकि नागरिकों को राहत मिले।"
स्थानीय लोगों की बाइट्स:
मुमताज़ बानो, वार्डवासी:"पानी गंदा है, बीमारी फैल रही है। हम फिर से कुओं पर निर्भर हो गए हैं।"
हर्ष सिंह, कलेक्टर:"जल की गुणवत्ता की जांच कराई जा रही है, दोषियों पर कार्रवाई होगी।"
निष्कर्ष:
बुरहानपुर में ताप्ती जलावर्धन योजना जैसी बड़ी योजनाएं तभी सफल मानी जा सकती हैं जब आमजन को उसका वास्तविक लाभ मिले। दूषित पानी, जल संकट और प्रशासनिक उदासीनता ने इस योजना की पारदर्शिता और क्रियान्वयन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि कलेक्टर के निर्देशों के बाद हालात में कितनी जल्दी सुधार होता है।